About Shodashi

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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥

सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं

Goddess is popularly depicted as sitting over the petals of lotus that's held within the horizontal overall body of Lord Shiva.

अष्टमूर्तिमयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥८॥

Soon after 11 rosaries on the primary day of beginning While using the Mantra, you'll be able to provide down the chanting to at least one rosary daily and chant eleven rosaries over the eleventh working day, on the final day of the chanting.

She will be the 1 getting Severe elegance and possessing energy of delighting the senses. Exciting mental and emotional admiration during the a few worlds of Akash, Patal and Dharti.

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, get more info संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे

This Sadhna evokes innumerable advantages for all round fiscal prosperity and stability. Growth of organization, identify and fame, blesses with prolonged and prosperous married life (Shodashi Mahavidya). The effects are realised quickly once the accomplishment on the Sadhna.

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

श्रौतस्मार्तक्रियाणामविकलफलदा भालनेत्रस्य दाराः ।

The worship of Tripura Sundari can be a journey toward self-realization, in which her divine elegance serves to be a beacon, guiding devotees to the ultimate truth.

इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥

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